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क्या कोरोना वायरस के टीके की उम्मीद कम ?


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नई दिल्ली: देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को देश के नाम संबोधन में लोकडाउन 4 के जल्द शुरू होने की बात स्पष्ट कर दी है। लेकिन इस दरमियान उन्होने मुख्य दो नियमों का जिक्र करते हुये यह भी स्पष्ट कर दिया है कि कोरोना वायरस के साथ हमें जीने की आदत डालनी होगी. जिसके तहत उन्होनें मास्क लगाना अनिवार्य तथा दो गज की दूरी का पालन करने की बात भी कही। ये दोनों नियम इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि शायद कोरोना वायरस के टीके हाल-फिलहाल तैयार होने की उम्मीद कम है. क्या है दो नियमों का टीके से संबंध दुनियाभर के वैज्ञानिक पिछले पांच महीनों सेे कोरोना वायरस का एक टीका खोजने की कोशिश कर रहे है लेकिन वह अभी तक इसमें सफल नही हो पाये है. इसी के साथ ही दुनिया के सभी बड़े वैज्ञानिक अब मानने लगे हैं कि शायद आने वाले कुछ समय तक हमें टीके की उम्मीद करने की बजाए इस वायरस के साथ जीने की आदत डालनी होगी. हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपने बयान में स्पष्ट किया है कि अब दुनिया को इस वायरस के साथ जीना पड़ सकता है. कई वैज्ञानिकों का कहना है कि एड्स और डेंगू जैसे महामारी का भी अब तक इलाज नहीं मिल पाया है. कोरोना भी ऐसा ही एक वायरस हो सकता है. भारतीय डॉक्टर भी दे चुके हैं संकेत ऑल इंडिया इंस्टिट्युट ऑफ मेडिकल साइंसेस (एम्स) के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने भी कहा है कि हमें अब कोरोना वायरस के साथ ही जीने की आदत डालनी होगी. जानकारों का कहना है कि भारतीय वैज्ञानिक और डॉक्टर भी मानने लगे हैं कि कोरोना वायरस का टीका निकट भविष्य में तैयार होता नहीं दिख रहा. ऐसे में अब बचाव ही एकमात्र उपाय है.

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